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स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
भारत सरकार

डीजी के डेस्क से


प्रो (डॉ) अतुल गोयल

 

स्वास्थ्य को सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक आरोग्यढ की अवस्था् माना जाता है, न कि रोग या दुर्बलता का अभाव मात्र। स्वास्थ्य किसी भी देश के विकास के महत्वपूर्ण मानकों में से एक है। भले ही स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक अधिकार नहीं माना जाता हो, परंतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की उदार व्याख्या करें, तो कोई भी स्वास्थ्य के अधिकार को अनुच्छेद 21 के अभिन्न अंग के रूप में शामिल करने का प्रयास कर सकता है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। भारतीय संविधान के तहत विभिन्न प्रावधान है जो बड़े पैमाने पर जन स्वास्थ्य से संबन्धित हैं। उपर्युक्त पृष्ठभूमि में, अपनी जनता के लिए यह अधिकार सुनिश्चिपत करना केंद्र और राज्यस सरकार के मूल उत्तंरदायित्व् हैं। सर्वसुलभ स्वाअस्य्के देखभाल सेवा प्रदान करने, जीवन की गुणवत्ताय में सुधार करने तथा अपने लोगों का स्वारस्य्धि एवं आरोग्य सुनिश्चिेत करने की चुनौती का सामना करने के लिए तकनीकी नेतृत्वअ को पर्याप्त सुदृढ़ बनाना होगा।

 

अंतिम नवीनीकृत 20/04/2022